Heaven of Earth- Uttarakhand
Uttarakhand became the 27th state of the Republic of India on 9th November 2000. The State is carved out of Uttar Pradesh. It occupies 17.3% of India's total land area with 51,125 sq km. On Uttarakhand Travel, you will find the great diversity of the region where snow-clad mountains, green hills, fertile valleys, flowing rivers and thriving lakes add to the natural beauty. The popular hill stations of Uttarakhand are Nainital, Bhimtal, Almora, Ranikhet, Pithoragarh, Munsiyari, Mussorie, Chopta, Valley of Flowers, Joshimath and Lansdowne. For unlimited serenity and tranquility Welcome to Our Uttarakhand
About Uttarakhand Uttarakhand is ideal for several adventure sports activities because of its geographical attributes. While on Uttarakhand Travel, the tourist must take the maximum pleasure out of adventure sports like trekking, ice-skiing, white water rafting, sailing, boating, kayaking, canoeing, yachting, water-skiing and parasailing. To climb the big mountain stretch or to pass the dense jungles of the hills is in itself very exciting. The huge water-filled rivers and deep lakes are perfect for water sports. Tourists also prefer to go on Uttarakhand Travel to visit the abundant wildlife sanctuaries and national parks in the state. While you are on a visit to Uttarakhand, make sure to visit the Valley of Flower National Park, Kedarnath Wildlife Sanctuaries, Nanda Devi National Park, Govind National Park, Assan Barrage National Park, Rajaji National Park and Corbett National Park .
Music and Dance Garhwal :- The Himalayas have inspired generations of singers, balladeers, and musicians throughout the ages. The natural beauty of the mountains which inspires a deep spirituality and the harshness of life which darkens the heart with adversity and anguish have invigorated Uttarakhandi music, heightening its poignancy and enriching its lyrical texture. Although, increasingly influenced by trends in Hindi film music the more traditional forms of Himalayan music have remained deeply popular. Major dance forms of the region are Langvir Nritya, Barada Nati folk dance, Pandava Nritya, Dhurang, and Dhuring.
Music and Dance Kumaon :- The Kumaonese are fond of music, folk dance, and songs accompanied by local musical instruments like murli, bina, and hurka. The hurka is played by the “jurkiya” and the dancer accompanying him, known as “hurkiyari,” is usually his wife or daughter. They go from place to place narrating folklores, singing the praise of their gods and goddesses. During fairs and festivals and at harvest time, the Kumaonese often dance the Jharva, Chandhur Chhapalior, and many other forms of folk dances. The popular folk songs are Malushahi, Bair, and Hurkiya Bol
उत्तराखण्ड के लोक गीतः गीत और संगीत उत्तराखण्ड संस्कृति का अनादिकाल से महत्तवपूर्ण अंग रहा है। हर मौकों पर गीत गाए जाते हैं। यहाँ तक कि जब पर्वतीय महिलाएँ घास काटने जंगलों में जाती हैं वहां भी लोकगीत गाये या गुनगुनाए जाते हैं। कुछ लोक गीतों का विवरण इस प्रकार हैः - मांगलः - यह गीत शभ कार्यों एंव शादी विवाह के मौकपर गाये जाते हैं। जागरः - जागर देवताओं के गीत है जैसे - विनसर , नागर्जा , नरसिंह , भैरों , ऐड़ी , आछरी , जीतू , लाटू , भगवती , चण्डिका , गालू देवता आदी। पंडोवः - पंडोव गढ़वाली लोक साहित्य के मौलिक महाकाव्य तथा खण्ड काव्य है। इन गीतों में ठाकुरी राजाओं के वीर गाथाओं को गाया जाता है। जैसे तीलूरोतेली , जोतरमाला , पत्थरमाला , नौरंगी , राजुला , राजा , जिते सिंह आदी। चौफुलाः - यह नृत्य चांदनी रात में गोल दायरे में घूमकर पुरूष तथा महिलाएं मिलकर गाते हैं। इसमें प्रकृति तथा उत्सवों के गीत गाये जाते हैं। यह नृत्य काफी कुछ गुजरात के “ गरबा ” नृत्य से मिलता है। खुदेड़ गीतः - करूणात्मक शैली के गीत “ खुदेड़ ” हैं। यह गीत माँ - बाप , भाई - बहन , सखी , वन , पशु - पक्षी , नदी , फल - फलों की स्मृति ताजा कराते है और इनकी याद आ जाने पर सबसे मिलने की चाह पैदा हो जाती है तथा न मिल पाने की स्थिति में ये गीत मुखार बिन्दु पर फूट पड़ते हैं। चौमासाः - वर्षा ऋतु में हिमालय की गोद में बसे उत्तराखण्ड का सौंदर्य निराला होता है। इस ऋतु के दिनों में अक्सर परदेश में गये साथी की ज्यादा याद सताती है तब यह गीत अपने आप मुखार बिन्दु पर फूट पड़ते हैं। थड़याँ - यह नृत्य बसंत पंचमी से लेकर विषुवत सक्रान्ति तक नेक सामाजिक व देवताओं के नृत्य गीतों के साथ खुले मैदान में गोलाकार होकर स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
Kumauni old is gold Songs पहाडी गीत :- बेडु पाको बारो मासा , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला बेडु पाको बारो मासा , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २ भुण भुण दीन आयो - २ नरण बुझ तेरी मैत मेरी छैला - २ बेडु पाको बारो मासा - २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २ आप खांछे पन सुपारी - २ , नरण मैं भी लूँ छ बीडी मेरी छैला - २ बेडु पाको बारो मासा - २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २ अल्मोडा की नंदा देवी , नरण फुल छदुनी पात मेरी छैला बेडु पाको बारो मासा - २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २ त्यार खुटा मा कांटो बुड्या , नरणा मेरी खुटी पीडा मेरी छैला बेडु पाको बारो मासा - २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २ अल्मोडा को लल्ल बजार , नरणा लल्ल मटा की सीढी मेरी छैला बेडु पाको बारो मासा - २ , ओ नरण काफल पाको चैत मेरी छैला - २
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